01-02
सञ्जय उवाच
दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।
आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत्।।1.2।।
पदच्छेतः
दृष्ट्वा, तु, पाण्डवानीकम्, व्यूढम्, दुर्योधनः, तदा।
आचार्यम्, उपसङ्गम्य, राजा, वचनम्, अब्रवीत्॥
पदपरिचयः
पदम् |
विवरणम् |
पदम् |
विवरणम् |
दृष्ट्वा |
अव्ययम् |
तु |
अव्ययम् |
पाण्डवानीकम् |
अ. नपुं. द्वि. एक. |
व्यूढम् |
अ. नपुं. द्वि. एक. |
दुर्योधनः |
अ. पुं. प्र. एक. |
तदा |
अव्ययम् |
आचार्यम् |
अ. पुं. द्वि. एक. |
उपसङ्गम्य |
अव्ययम् |
राजा |
राजन्-न. पुं. प्र. एक. |
वचनम् |
अ. नपुं. द्वि. एक. |
अब्रवीत् |
ब्रुञ्-पर. कर्तरि लङ् प्रपु. एक. |
|
|
पदार्थः
पदम् |
अर्थः |
पदम् |
अर्थः |
तदा तु |
तदानीं तु |
व्यूढम् |
व्यूहत्वेन स्थापितम् |
पाण्डवानीकम् |
पाण्डवसैन्यम् |
दृष्ट्वा |
अवलेक्य |
राजा |
नृपः |
दुर्योधनः |
दुर्योधनः |
आचार्यम् |
गुरुं द्रोणम् |
उपसङ्गम्य |
उपसृत्य |
वचनम् |
वाक्यम् |
अब्रवीत् |
अवदम् |
अन्वयः
तदा तु व्यूढं पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्।
आकाङ्क्षा
अब्रवीत् |
|
कः अब्रवीत्? |
दुर्योधनः अब्रवीत्। |
कीदृशः दुर्योधनः अब्रवीत्? |
राजा दुर्योधनः अब्रवीत्। |
राजा दुर्योधनः किम् अब्रवीत्? |
राजा दुर्योधनः वचनम् अब्रवीत्। |
राजा दुर्योधनः किं कृत्व वचनम् अब्रवीत्? |
राजा दुर्योधनः उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्। |
राजा दुर्योधनः कम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? |
राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्। |
पुनश्च किं कृत्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? |
दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्। |
किं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? |
पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्। |
कीदृशं पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? |
व्यूढं पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्। |
कदा व्यूढं पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? |
तदा तु व्यूढं पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? |
तात्पर्यम्
तदा व्यूहरूपेण स्थापितं पाण्डवानां सैन्यं दृष्ट्वा दुर्योधनः गुरोः द्रोणाचार्यस्य समीपं गत्वा इदं वचनम् अवदत्।
व्याकरणम्
सन्धिः
पाण्डवानीकं व्यूढं |
पाण्डवानीकम् + व्यूढं |
अनुस्वारसन्धिः |
व्यूढं दुर्योधनस्तदा |
व्यूढम् + दुर्योधनस्तदा |
अनुस्वारसन्धिः |
दुर्योधनस्तदा |
दुर्योधनः + तदा |
विसर्गसन्धिः (सकारः) |
समासः
पाण्डवानीकम् |
पाण्डावानाम् अनीकम्, तत् |
षष्टीतत्पुरुषः। |
कृदन्तः
दृष्ट्वा |
दृशिर् + कृत्वा |
व्यूढम् |
वि + वह् + क्त (कर्मणि) आकारविशेषवत्त्वेन विभक्तम् इत्यर्थः। |
उपसङ्गम्य |
उप + सम् + गम्लृ + ल्यप् |
आचार्यः |
आ + चर् + ण्यत्। आचरणीयः (सेवनीयः) आचार्यः। |
वचनम् |
वच् + ल्युट् (करणे) उच्यते अनेन इति वचनम्। |
01-03
पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्।
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता।।1.3।।
पदच्छेतः
पश्य, एताम्, पाणहुपु्त्राणाम्, आचार्य, महतीम्, चमूम्।
व्यूढाम्, द्रुपदपुत्रेण, तव, शिष्येण, धीमता॥
पदपरिचयः
पदम् |
विवरणम् |
पदम् |
विवरणम् |
पश्य |
दृशिर्-पर. कर्तरि. लोट् मपु. एक. |
एताम् |
एतद्-द. सर्व. स्त्री. द्वि. एक. |
पाणहुपु्त्राणाम् |
अ. पुं. ष. बहु. |
आचार्य |
अ. पुं. सम्बो. एक. |
महतीम् |
ई. स्त्री. द्वि. एक. |
चमूम् |
ऊ. स्त्री. द्वि. एक. |
व्यूढाम् |
आ. स्त्री. द्वि. एक. |
द्रुपदपुत्रेण |
अ. पुं. ष. बहु. |
तव |
युष्मद्-द. सर्व. ष. एक. |
शिष्येण |
अ. पुं. तृ. एक. |
धीमता |
धीमत्-त. पुं. तृ. एक. |
|
|
पदार्थः
पदम् |
अर्थः |
पदम् |
अर्थः |
आचार्य |
भोः द्रोणाचार्य! |
तव |
भवतः |
धीमता |
बुद्धिमता |
शिष्योण |
छात्रेण |
द्रुपतपुत्रेण |
धृष्टध्युम्नेन |
व्यूढाम् |
व्यूहरूपेण स्थापिताम् |
पाण्डुपुत्राणाम् |
पाण्डावानाम् |
एताम् |
एनाम् |
महतीम् |
बृहतीम् |
चमूम् |
सेनाम् |
पश्य |
वीक्षस्व |
|
|
अन्वयः
आचार्य! तव धीमता शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीं एतां चमूं पश्य।
आकाङ्क्षा
पश्य। |
|
कां पश्य? |
चमूं पश्य। |
कां चमूं पश्य? |
एतां चमूं पश्य। |
कीदृशीम् एतां चमूं पश्य? |
महतीम् एतां चमूं पश्य। |
केषां महतीम् एतां चमूं पश्य? |
पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
कीदृशीं पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य? |
व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
केन व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य? |
द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
कीदृशेन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य? |
शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
पुनश्च कीदृशेन शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य? |
धीमता शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
कस्य धीमता शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य? |
तव धीमता शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
अस्मिन् श्लोके सम्बोधनपदं किम् ? |
आचार्य! |
तात्पर्यम्
भोः आचार्य! चतुरेण तव शिष्येण धृष्टद्युम्नेन पाण्डवानां महत् सैन्यमिदम् व्यूहरूपेण स्थापितम् अस्ति। इदं पश्य।
व्याकरणम्
सन्धिः
पश्यैतां |
पश्य + एताम् |
वृद्धिसन्धिः |
महतीं चमूम् |
महतीम् + चमूम् |
अनुस्वारसन्धिः |
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण |
व्यूढां + द्रुपदपुत्रेण |
अनुस्वारसन्धिः |
समासः
पाणहुपु्त्राणाम् |
पाण्डोः पुत्राः, तेषाम् |
षष्ठीतत्पुरुषः। |
द्रुपदपुत्रेण |
द्रुपतस्य पुत्रः. तेन |
षष्ठीतत्पुरुषः। |
कृदन्तः
व्यूढाम् |
वि + वह् + क्त (कर्मणि) |
आचार्यः |
आ + चर् + ण्यत्। आचरणीयः (सेवनीयः) आचार्यः। |
तत्वितान्तः
धीमता |
धीः + मतृप्, तेन। धीः अस्य अस्मिन् वा अस्ति इति धीमान्। |